एक शायर से आओ मिलवाऊं
जो कि अक्सर उदास होता है
देखकर कोई फूल हँसता हुआ
क्यूंकि ये आज देख सकता है
सूनी-सूनी उदास सी टहनी
कल नज़र आयेगी जो दुनिया को
सुनके खुशबू सी कोई मस्त हंसी
चंचल आँखों की बात पढ़ते हुए
इसकी पलकों से ओस झरती है
क्यूंकि ये आज समझ सकता है
आज-सा वक़्त कल कहाँ होगा
ये जो शायर उदास बैठा है
दो सदी पहले भी ये ज़िंदा था
तब इसे लोग 'कीट्स' कहते थे
(-जोन कीट्स की याद में)
('एक चुटकी चांदनी' से)
Saturday, July 11, 2009
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waah bahut khoob
ReplyDeleteशायर को समर्पित नज़्म अच्छी लगी ....!!
ReplyDelete..so close to life n depicted in beautiful garland..khush ravo Satish
ReplyDeleteMere paas shabd nahi hai.........
ReplyDeleteItna hi kehunga ki mai apka fan ho gaya hun......
So ur blog adds to it, like 'Ik lupp sooraj di'. Good luck.
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