Saturday, July 11, 2009

शायर

एक शायर से आओ मिलवाऊं
जो कि अक्सर उदास होता है
देखकर कोई फूल हँसता हुआ
क्यूंकि ये आज देख सकता है
सूनी-सूनी उदास सी टहनी
कल नज़र आयेगी जो दुनिया को

सुनके खुशबू सी कोई मस्त हंसी
चंचल आँखों की बात पढ़ते हुए
इसकी पलकों से ओस झरती है
क्यूंकि ये आज समझ सकता है
आज-सा वक़्त कल कहाँ होगा

ये जो शायर उदास बैठा है
दो सदी पहले भी ये ज़िंदा था
तब इसे लोग 'कीट्स' कहते थे

(-जोन कीट्स की याद में)
('एक चुटकी चांदनी' से)

5 comments:

  1. शायर को समर्पित नज़्म अच्छी लगी ....!!

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  2. ..so close to life n depicted in beautiful garland..khush ravo Satish

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  3. Mere paas shabd nahi hai.........

    Itna hi kehunga ki mai apka fan ho gaya hun......

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  4. So ur blog adds to it, like 'Ik lupp sooraj di'. Good luck.

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