Friday, July 10, 2009

एक ग़ज़ल

थक गया है दिल यहाँ रह-रह के बरबस
ढूँढने निकलेगा दुनियां फिर कोलंबस

एक लेडी-साइकल और एक बाइक
एक है चादर बिछी और एक थर्मस

इस क़दर जब मुस्कुरा के देखती हो
याद आता है मुझे कॉलेज का कैम्पस

हैं अलग टी.वी.अलग कमरों में दिल हैं
एक टी.वी.था गली में हम थे रस-मस

ये विचार और वो विचार ऊपर से नीचे
रात-दिन जारी ज़हन में एक सर्कस
(अप्रकाशित)

2 comments:

  1. banda kare tan ke ni kar sakda, mannya waqt v tang ton tang aunda, ranjha takhat hazare ton ture tan sahi, pairan heth syalan da jhang aunda..........

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