जितने सर हैं यहाँ उतने ही हैं दिमाग़ यहाँ
कितनी आज़ादियाँ हैं पैक लॉज में इक साथ
किसी के रेडियो पे चल रहा है मैच कोई
चल रहा है कोई हंगामा साथ केबल पर
तो कोई झूमता आता है वॉकमैन के साथ
किसे है होश के कोई उदास भी है यहाँ !
(-'एक चुटकी चाँदनी' में से )
Saturday, July 11, 2009
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Ye jo shahbaz hai tasavvur ka,Isko rokenge kya pahad-o-nadi!
ReplyDeleteकिसे है होश के कोई उदास भी है यहाँ !
ReplyDeletewaah kya baat hai... aur kitna sahi kaha aap ne....
AAPKA TASAVVUR BA-KAMAAL. AAPKA BIYAN BE-MISAAL
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