Saturday, July 11, 2009

लॉज

जितने सर हैं यहाँ उतने ही हैं दिमाग़ यहाँ
कितनी आज़ादियाँ हैं पैक लॉज में इक साथ

किसी के रेडियो पे चल रहा है मैच कोई
चल रहा है कोई हंगामा साथ केबल पर
तो कोई झूमता आता है वॉकमैन के साथ

किसे है होश के कोई उदास भी है यहाँ !

(-'एक चुटकी चाँदनी' में से )

3 comments:

  1. Ye jo shahbaz hai tasavvur ka,Isko rokenge kya pahad-o-nadi!

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  2. किसे है होश के कोई उदास भी है यहाँ !
    waah kya baat hai... aur kitna sahi kaha aap ne....

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  3. AAPKA TASAVVUR BA-KAMAAL. AAPKA BIYAN BE-MISAAL

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