Saturday, April 3, 2010

4 comments:

  1. सतीश "बेदाग़"....आपके बारे में कुछ भी लिखना सूरज को दीप दिखने की तरह होगा.....फिर भी आपके बारे में कुछ लिखने का दुस्साहस कर रहा हूँ....मैने बचपन में एक दोहा पड़ा था जो आप पे चरितार्थ हो रहा है....वो दोहा इस प्रकार है...
    सतसैया के दोहरे ..ज्यों नाविक के तीर......;
    देखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर ..........;;

    आपकी ग़ज़ल की शैली बहुत साधा और शब्दों का चयन बहुत सुन्दर है....जिसके कारण आम आदमी भी आपकी ग़ज़ल आदि का पूरा आनंद लेता है.....आपकी सफलता ..आपकी सरलता में है....में किसी भी शायर से आपकी तुलना नहीं करना चाहता....क्योंकि आप खुद में .आज के समय में एक मील के पत्थर है....मुझको ख़ुशी है की मै आपका एक मित्र हूँ.......

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  2. BILKUL GUPTA JI MAI AAP SE 100% SEHMAT HU. BEDAAG JI SHABAD SEENE MAI HOLE BANA KAR DIL MAIN UTTAR JATE HAIN.

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  3. superb गजल i have ever listen...

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  4. HEARTIEST CONGRATULATIONS DEAR FOR WRITING UP THIS VERY SIMPLE AND MEANING FUL GHAZAL. THIS GHAZAL IS AS SIMPLE AS 2+2=4 as far as the choosen words are concerned but the emotions carried are infinite. the first couplet reminds gurudev tagore. any way good luck

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