वो तेरी उड़ती हुई ज़ुल्फ़ें झूलते हुए पाम
छुपा के रखी है मैंने वो डायरी में शाम
तुम आज याद बहुत आए मैं अकेला था
वही समय वही सिग्नल वहीँ था ट्रैफिक जाम
ये पोस्ट हो नहीं सकते ये आके ले जाओ
कुछ एक लम्हों के नीचे लिखा है तेरा नाम
ये चील-कौओं के जैसे जुटे हैं बीते पल
मचा है ज़हन के परदे पे बेतरह कोहराम
कहीं से उभरा तेरा चेहरा मेरी नींद गई
ये सपना हो नहीं सकता ये था कोई इल्हाम
छुपा के रखी है मैंने वो डायरी में शाम
तुम आज याद बहुत आए मैं अकेला था
वही समय वही सिग्नल वहीँ था ट्रैफिक जाम
ये पोस्ट हो नहीं सकते ये आके ले जाओ
कुछ एक लम्हों के नीचे लिखा है तेरा नाम
ये चील-कौओं के जैसे जुटे हैं बीते पल
मचा है ज़हन के परदे पे बेतरह कोहराम
कहीं से उभरा तेरा चेहरा मेरी नींद गई
ये सपना हो नहीं सकता ये था कोई इल्हाम
aapki saari ghazlen padhin bahut kubsoorat hain
ReplyDeletekripya word verification samapt kar den to aur maja aa jaega
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